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- शोर से बहरेपन का खतरा
Posted by : Unknown
Sunday, 1 March 2015

डब्ल्यूएचओ केगैर-संचारी रोगों, विकलांगता, हिंसा एवं चोट रोकथाम प्रबंधन विभाग के निदेशक एटीन क्रूग ने बताया, चूंकि दैनिक जीवन में युवा वही सब करते हैं, जिससे उन्हें आनंद मिलता है, इसलिए अधिकतर युवा खुद को बहरेपन की ओर ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि साधारण बचावकारी उपायों से लोग खुद बहरेपन के खतरे के बिना लुत्फ उठा सकते हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा मध्यम और उच्च आय वाले देशों पर किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, 12-35 साल आयु के बीच के किशोर और वयस्कों में से लगभग 50 फीसदी किशोर और युवा अपने व्यक्तिगत ऑडियो उपकरणों से असुरक्षित स्तर पर आवाज सुनने और लगभग 40 फीसदी ने मनोरंजन स्थलों पर हानिकारक स्तर पर आवाज सुनने की बात बाताई।
डब्ल्यूएचओ की सलाह है कि कार्यस्थलों पर शोर का उच्च अनुज्ञेय स्तर एक दिन में आठ घंटे तक 85 डेसिबल है। नाइटक्लब, बार और खेल आयोजनों में शोर का स्तर आमतौर पर 100 डेसिबल होता है, इस स्तर की आवाज में किसी की श्रवण क्षमता 15 मिनट से ज्यादा देर सुरक्षित नहीं रह सकती। किशोर और युवा अपने व्यक्तिगत ऑडियो उपकरणों की आवाज कम रख कर और शोर-शराबे वाले माहौल में इयरप्लग लगाकर अपनी श्रवण क्षमता की सुरक्षा कर सकते हैं.
डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी कि लोग शोरशराबे वाली जगह पर कम समय बिताएं और अपने व्यक्तिगत ऑडियो उपकरणों का दैनिक उपयोग प्रतिबंधित या सीमित करें। सुरक्षित आवाज सुनने के खतरों की ओर ध्यान आकर्षित करने और सुरक्षित गातिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूएचओ इस साल के अंतर्राष्ट्रीय कान देखभाल दिवस पर 'मेक लिसनि सेफ पहल शुरू कर रहा हैं।
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