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Posted by : Unknown Friday, 9 January 2015



जनधन योजना वीसेट तकनीक का सहारा
        प्रधानमंत्री की जनधन योजना को सफल बनाने के लिए डिजिटल इंडिया के तहत वीसेट तकनीक का सहारा लिया जाएगा। वीसेट यानी उपग्रह आधारित वेरी स्माल एपर्चर टर्मिनल तकनीक। इससे दूरदराज के गांवों तक पूर्ण और बिना बाधा के कनेक्टिविटी के जरिये जनधन का सुचारू संचालन बैंक कर पाएंगे। जनधन में 10 करोड़ खाते 26 जनवरी तक खोले जाने थे। यह लक्ष्य पूरा कर लिया गया है।
आरबीआई का तकनीकी
       वित्तीय सेवाओं के विभाग ने दूरसंचार विभाग से बातचीत की है। इसमें कम खर्च में दीर्घावधि के लिए वीसेट सेवा इस्तेमाल का रास्ता निकालने को कहा गया है। आरबीआई का तकनीकी समूह भी वीसेट को सुरक्षित, ऊंची बैंडविथ और विश्वसनीय प्रकृति की तकनीक मानता है।
 ज्यादा खाते जनधन योजना के तहत
       वित्तीय सेवाओं के सचिव के मुताबिक पिछले तीन महीने में 10 करोड़ से ज्यादा खाते जनधन योजना के तहत खोले गए हैं। इस योजना के तहत अब तक देश के 98.41 प्रतिशत घर शामिल हो चुके हैं। सचिव के मुताबिक बैंकों ने कठिन लक्ष्य 26 जनवरी की तय सीमा से एक महीने पहले ही पूरा कर लिया है। उनके मुताबिक बैंकों ने लगभग 22 करोड़ घरों में सर्वे किया। इसमें उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके पास खाते हैं।
वित्तीय सेवाओं के सचिव के मुताबिक रुपे कार्ड 79.7 प्रतिशत खातेदारों को प्रदान किए जा चुके हैं। सरकार 33 प्रतिशत खातों को आधार नंबर से लिंक कर चुकी है। हालांकि ज्यादातर खाते अभी भी निष्क्रिय हैं और जीरो बैलेंस पर हैं। खातों में बचत राशि लाने के लिए खातेदारों को प्रेरित करना बैंकों के समक्ष बड़ी चुनौती है।
      प्रधानमंत्री ने अगस्त महीने में 1.13 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके तहत भारत को नॉलेज इकोनॉमी में तब्दील किया जाना है।
      2015 के अंत तक केंद्र सरकार के समूचे स्टॉफ को ई-गवर्नेस के तहत लाने की योजना है। जुलाई में शुरू हुई माइगोवडॉटइन में अब तक सात लाख सदस्य हो चुके हैं।
      सरकार के डिजिटल इंडिया में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क मुख्य हिस्सा है। इसके तहत वाईफाई हॉटस्पॉट, जनधन योजना के तहत मोबाइल वालेट, एमगवर्नेस सेवाएं मसलन डिजिटल मंडी और किसान सेवा शामिल हैं।
      डिजिटल इंडिया में मार्च 2017 तक 2.50 लाख ग्राम पंचायतों को उच्च गति के ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य है संचार सिग्नलों को अपलिंक और डाउनलिंक करने के लिए यह उपग्रह से जुड़ी होती है। इसका इस्तेमाल तब जरूरी हो जाता है जब कॉपर केबल ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो, माइक्रोवेब और कोई अन्य वायर लाइन/वायरलेस लिंक काम नहीं करता। यह दूरदराज और दुर्गम इलाकों में पहुंच का जरिया है। इससे डाटा ट्रांसफर, इंटरनेट, आवाज, वीडियो सेवाएं भी मिलती हैं।
      वीसेट सेवाएं कारपोरेट संस्थानों, बैंकिंग सेक्टर, अस्पतालों, स्टॉक एक्सचें, शैक्षिक संस्थानों, सरकार, रक्षा, एअरलाइंस, खान निगमों, बिजली परियोजनाओं, दुर्गम इलाकों में त्वरित नेटवर्क कायम करने में काम आती हैं।

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