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Posted by : Unknown Sunday, 14 December 2014



बिहार में अनाज घोटालों का परदा फास 


          बिहार (पटना) में सवा तीन सौ करोड़ के अनाज घोटाले में 120 डीडीसी और 740 बीडीओ पर गाज गिरने वाली है। अफसरों को जेल भी जाना पड़ सकता है। लोक लेखा समिति की जांच रिपोर्ट फरवरी में विधानमंडल में पेश होने के बाद कार्रवाई शुरू होगी। करीब छ साल से चल रही जांच के बावजूद अब तक 29 करोड़ की वसूली हो पाई है। 300 करोड़ के अनाज की वसूली अभी तक नहीं हो सकी है। इसी मामले में दोषी अफसरों पर अब कार्रवाई होनेे जा रही है।
         केंद्र सरकार ने 2005 में मनरेगा लागू किया। इस योजना के चालू होने के पहले काम के बदले अनाज स्कीम चल रही थी। मनरेगा शुरू होते ही इसे बंद कर दिया गया। इसका 2001 से 2005 के बीच मजदूरों को बांटने के लिए मिले 325 करोड़ रुपये का अनाज जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के पास पड़ा रह गया। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने पहली बार 2008-09 की रिपोर्ट में नवादा और जमुई जिले में इस गड़बड़ी का पर्दाफाश किया। इस पर लोक लेखा समिति ने जब जांच शुरू की तो राज्य के सभी जिलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ। लोक लेखा समिति की जांच शुरू होते ही ग्रामीण विकास विभाग ने जिम्मेदार पीडीएस डीलरों पर कार्रवाई शुरू की। डेढ़ सौ से अधिक डीलरों पर मुकदमा दर्ज कर जब जेल भेजा तो कई पटना हाईकोर्ट चले गए।

         लोक लेखा समिति के सभापति ललित यादव ने बताया कि मुख्य सचिव, डीजीपी और प्रधान सचिव के साथ दो दर्जन से अधिक बैठकें करके समिति अपने निष्कर्ष तक पहुंच गई है। बजट सत्र में वह रिपोर्ट दे देगी। इसके बाद दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई का काम ग्रामीण विकास विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग को करना है। हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया था कि अकेले डीलरों पर ही कार्रवाई क्यों, दोषी अफसरों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई? इसपर सामान्य प्रशासन विभाग ने 120 डीडीसी और ग्रामीण विभाग ने 740 बीडीओ से स्पष्टीकरण मांगा है। जवाब देने की रफ्तार काफी सुस्त है। मुश्किल से 40 अफसरों ने जवाब भेजा है। इस मामले में दोषी करीब आधा अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।

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