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Posted by : Unknown Wednesday, 24 September 2014



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नई दिल्ली,  शारदीय नवरात्र आज बृहस्पतिवार से प्रारंभ हो गया हैं। तमाम आस्थावान लोग अपने घरों में मां दुर्गा की स्थापना की तैयारी पूरी करने में जुटे रहे। विद्वानों के अनुसार शारदीय नवरात्रअश्रि्वन शुक्लपक्ष प्रतिपदा (25 सितम्बर) आज से प्रारंभ हो गया है। दशमी तिथि की हानि के कारण इस वर्ष नवरात्र मात्र आठ दिनों का होगा।
आज सभी जगह पूरे विधि- विधान से नवरात्र का कलश स्थापित हुआ। नवरात्र का पावन पर्व आद्यशक्ति मां भगवती का पर्व है। मां दुर्गा ने महिषासुर का वधकर अधर्म का नाश करके धर्म की संस्थापना कर सद्शक्तियों का संरक्षण व संगठन किया था। मातृशक्ति की इस दिव्यलीला का आध्यात्मिक उत्सव होता है-नवरात्र।
30 सितम्बर की रात 9 बजकर 36 मिनट पर मां दुर्गा के पट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएगें। मां दुर्गा का पट सप्तमी में खोलने का विधान है।
30 सितम्बर, मंगलवार को दिन में 11 बजकर 53 मिनट पर सप्तमी प्रारंभ हो जाएगी। लेकिन रात्रि 9 बजकर 36 मिनट पर मूल नक्षत्र का आगमन हो रहा है। देवी का पट सप्तमी को मूल नक्षत्र में खोलना शुभ माना जाता है। सप्तमी बुधवार को पूर्वाह्न् 10 बजकर 9 मिनट तक है। उसके बाद अष्टमी प्रारंभ हो जाएगी। अष्टमी में देवी का पट खोलना निषेध है।
शारदीय नवरात्र के आगमन को लेकर घर से बाजार तक तैयारी चल रही है। इस बार मां दुर्गा डोली पर आ रही है। जो प्रजा के लिए विग्रहवाला(मुत्यु तुल्य कष्ट के समान) रहेगा। मां दुर्गा हाथी पर प्रस्थान करेगी जो भक्तों के लिए शुभकारी रहेगा।
पंडित संपत कुमार मिश्र ने बताया कि इस बार कलश स्थापना का शुभ समय प्रात: काल से लेकर दोपहर 12: 29 बजे तक रहेगा। इसी बीच भक्त कलश स्थापित करा सकते है। जो लोग कलश स्थापित नहीं करा रहे है। वे सिर्फ पीतल के कलश (लोटिया) में जल रख दुर्गासप्तशती का पाठ कर सकते है। उन्हें कलश स्थापना का ही फल मिलेगा। इस बार दशमी तिथि का लोप है।
2 अक्टूबर को होगा अष्टमी व नवमी-
महाष्टमी व नवमी 2 अक्टूबर को होगा। इसलिए हवन भी इसी दिन को होगा। 3 अक्टूबर को सुबह 6.24 बजे के बाद दशमी है और विजयादशमी मनायी जाएगी।
तिथि- प्रसाद- फल
प्रथम- गाय का घी- निरोग
द्वितीया-शक्कर- आयु में वृद्धि
तृतीय- गाय का दूध-दुखों से मुक्ति
चतुर्थी- मालपुआ- बुद्धि का विकास
पंचमी- केला-शरीर स्वस्थ
षष्ठी-शहद-आकर्षण व शाक्ति का विकास
सप्तमी-गुड़-शोक से मुक्ति
अष्टमी-नारियल-संतान प्राप्ति
नवमी-काला तील-मृत्यु भय नहीं होता ।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा की पहली स्वरूपा और हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प रहता है। पुराणों में वर्णित है कि मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष के घर पैदा हुई थीं। उस समय माता का नाम सती था और इनका विवाह भगवान् शंकर से हुआ। प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आरम्भ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु भगवान शिव को आमंत्रण नहीं भेजा। अपने मां और बहनों से मिलने को आतुर मां सती बिना निमंत्रण के ही जब पिता के घर जा पहुंची। उन्हें वहां अपने और भोलेनाथ के प्रति तिरस्कार का सामना करना पड़ा। मां सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकी और वहीं योगाग्नि द्वारा खुद को जलाकर भस्म कर दिया और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर जन्म लिया। शैलराज की पुत्री होने कारण मां दुर्गा के इस प्रथम स्वरुप को शैल पुत्री कहा जाता है।
भक्तों का संकट हरने आ गईं मां दुर्गा -
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
विंध्यधाम में नवरात्र मेला आरंभ- विंध्यधाम में शारदीय नवरात्र मेला शुरू हो गया है। मां विंध्यवासिनी की मंगला आरती के बाद मंदिर में भक्तों के दर्शन-पूजन के लिए व्यवस्था मुकम्मल कर दी गई है। भक्तों के जयकारे से देवीधाम गूंजने लगा है। दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार रात से ही लगने लगी थी। मंदिर व आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। मां अष्टभुजी देवी, मां काली देवी मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ दर्शन-पूजन को लगी रही। त्रिकोण पहाड़ी मार्ग पर भी भक्तों की भीड़ का आलम बना रहा। इस बीच गंगाघाटों पर बड़ी संख्या में भक्तों ने स्नान व पूजन किया। मंदिर की छत पर अनुष्ठान पूजन शुरू हो गया है।
इलाहाबाद- शारदीय नवरात्र के शुभारंभ के मौके पर शहर के दुर्गा मंदिरों को सजाया जा रहा है। मंदिर में भक्तों को पूजा अर्चना करने में कोई परेशानी न हो इसका खास ख्याल रखा जा रहा है। महाशक्ति ललिता देवी मंदिर समिति ने मंदिर को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मंदिर को रजनीगंधा, गुलाब व चमेली के फूलों से सजाया जा रहा है। मंदिर परिसर के अतिरिक्त सड़कों के किनारे भी बिजली के रंगबिरंगे बल्बों से सजाया जा रहा है। पूजन के लिए सुबह से देर रात तक मंदिर खुला रहेगा। सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ, शतचंडी महायज्ञ, भंडारा भगवती जागरण होगा।
देहरादून-आज से आरंभ हो रहे शारदीय नवरात्र के लिए द्रोणनगरी में घटस्थापन की तैयारियां कर ली गई हैं। सुबह में घरों व मंदिरों में घट स्थापना हुई। जबकि, सांध्य बेला में होगा मेला मैइया का गुणगान होगा।
मंदिरों में घट स्थापना व मां की अखंड ज्योत प्रज्जवलित कर हरियाली के प्रतीक जौ बोए जाएंगे। साथ ही मां को गंगाजल समेत अन्य दिव्य पदार्थो से स्नान कराकर उनका सोलह श्रृंगार होगा। इसी के साथ आरंभ होंगे श्री दुर्गा सप्तशती के अखंड पाठ, जो नवमी की सुबह कंजिका पूजन के साथ विराम लेंगे।
कृप्या अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे। 

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